वैसे तो सच में सही परवरिश की कोई एक परीभाषा या एक तारीका नहीं है फिर भी परवरिश कुछ नुस्खे आपके बच्चे को खुश रखने में बड़े मददार होते हैं- बच्चों की परवरिश जिस प्रकार के वातावरण में होगी, बच्चे का जीवन भी उसी प्रकार का होगा ! यदि आपमें एकग्रता, आशावन, धैर्यवान, व्यसन मुक्त, सौम्या, रहमदिल, नियति, आदि ये सारी आदतें होगी।अर्थात् बच्चों कि मानसिक स्थिति, स्वास्थ्य ,आत्म सम्मान, आदि सभी उनकी परवरिश पर ही निर्भर करता है!
बच्चों की परवरिश अलग-अलग होने की वजह से ही उनमे अलग-अलग गुण पाए जाते हैं- जैसे कुछ बच्चों में अच्छी आदतें होती हैं जो की संतुष्टि, शांति, सटीकता, शुद्धता, परिपक्वता, हल्कापन, स्वच्छता, मिठास, दया, दृढ़ संकल्प आत्म-अनुशासन, ईमानदारी, प्रेम, सरलता, विनम्रता, स्थिरता, धैर्य, ज्ञान, आदि सकारात्मक आदतें होती है। और कुछ बच्चों में नकारात्मक आदतें भी होती है जैसे- लूट, डर, मूडी, तनाव, ईर्ष्या, बचपना, आलस्य, मोह, लगाव, गैरजिम्मेदारी, अहंकार, नफ़रत, लोभ, अनादर, उल्झन, आदि नकारात्मक आदतें जो होती है वो बच्चों को पूरी तरह धीरे-धीरे नष्ट कर देती है! इसलिये मा-बाप की जिम्मेदारी होती है की बच्चों में और अपने अंदर भी सकारात्मक आदतें ही लाए! ताकि बच्चों को अच्छा परवरिश मिल सके।
उन्हें शुरू से ही अनुशासन मे रहना सिखाए
बच्चा जब बड़ा होने लगता है तब ही से उसे नियम में रहने की आदत डाले । अभी छोटा है बाद में सिख जाएगा । यह कहना छोड़ दे , उन्हें शुरू से ही अनुशासित बनाए ,कुछ पैरेंट्स बच्चो को छोटी छोटी बातों पर डाटने लगते है, यह तरीका भी गलत है। वे अभी छोटे है, आपका यह तरीका उन्हें जिद्दी और विद्रोही बना सकता है। और सही परवरिश के हालत जैसे- सुबह जल्दी उठना, रोज नहना, साफ रहना आदि के मुताबिक समझ भुज की जरुरत होती है!
सब बच्चे एक जैसा नहीं होता है इसलिए सभी बच्चों पर एक ही नियम लागू नहीं सकता है! चाहे बच्चे के ख्याल रखने की बात हो फिर उन्हे डांटने की! हर बच्चे के साथ अलग ढंग से पेश आने की जरूरत होती है!
बच्चा आपकी खुशकिस्मती है।
आप उन्हे समझाए की वो आपके लिए कितने अनमोल हैं!
जो बनना चाहे बनने दे।
उनको जो बनना है बनने दे उन्हें बार-बार रोके तो नहीं उन्हे सही सलाह की जरुरत होती है न की हर जगह टोकने की! अगर उनकी दिशा गलत जा रही है तो आप उन्हे प्यार से समझाए उसके मन को समझे ना की उन पर सख्ती करें।
शांतिपूर्ण माहौल
बच्चों के लिए घर पर अच्छा वातावरण या शांतिपूर्ण माहौल रखे ताकि बच्चे का मन पर अच्छा प्रभाव करे!
सच्चा प्यार दे ,हर मांगी हुईं चीज नही
लोग गलती यह करते हैं की अपने बच्चों की हर मांग को पूरी करना ही उस को ही अपने बच्चों के लिए प्यार समझते है, बाल्की यह जरुरी नहीं है, अगर आप अपने बच्चे से सच में प्यार है तो उसे वही दे जो उसके लिए अच्छा हो! जब आप किसी से सचमुच प्यार करते हैं तो उसका दुलारा होने के फ्रिक किए बिना आप वही अपने बच्चों के लिए करें जो आपके बच्चों के लिए सही हो!
बच्चों को बच्चा ही रहने दे।
ये बहुत जरूरी है की बच्चे को बच्चा ही रहने दे उसे बड़ा बनने पर मजबूर ना करे क्योकि बच्चा जब बच्चों की तरह बरताव करता है तो खुद भी खुश रहता है और दूसरों में भी खुशिया फैलाता है! और अगर बच्चा उम्र से पहले बड़ा हो गया तो आपको भी उसका व्यवहार बुरा लगेगा! इसलिए बच्चों को बच्चा ही रहने दिए वो समय के साथ खुद समझदार हो जाएगा!
यह वक्त सीखने का भी है और सिखाने का भी।
आप लाइफ के बारे में जानते ही क्या है आप अपने बच्चों को शिखा सके? बस आप अपने जीवन को बसर करना सिखा सकते हैं। अच्छा आप खुद को अपने बच्चे के साथ तोल कर देखे की खुशी की काबिलियत किसमे बहुत है! आपके बच्चे में या आपके? अगर वह आप से बहुत खुश रहना जानते हैं तो जिंदगी के बारे में सलाह उससे आप ले सकते हैं! जब आपकी जिंदगी में एक बच्चा आता है तो वो वक्त आपके लिए सिर्फ सीखने का नहीं बाल्की उनसे सीखने का भी होता है।
बच्चे को साहसी बनाए
और अगर आप खुद ही हिम्मत और चिंता में रहेंगे तो कैसे उम्मीद कर सकते हैं की आपका बच्चा खुश हो कर अपना जीवन जिएगा। सबसे अच्छा यह होगा की आप घर पर बच्चों के सामने खुशनुमा माहौल ही बनाये जिसे देखकर वह अपने जीवन में अपनाए, और सभी को खुशिया दे ।
गहरी दोस्ती करे।
आप अपने बच्चों को समझे और न की बॉस बनकर उसपर हुकम करने की बजाय आप अपने बच्चों से दोस्ती करे जिससे वह आपसे आसानी से बात कर सके। और डारे नहीं आपसे सारी छोटी बड़ी बातें कह सके ।
खुद को दिलकश बनाये।
बच्चे पर बहुत सी चीजों का असर होता है- टीवी, पड़ोसी, स्कूल और लाखों चीजें। उसको जो सबसे ज्यादा दिलकश लगेगा वह उसी कि तरफ खीचेगा। माँ – बाप के रूप में आपको कुछ यू बनना होगा कि उसको आपके साथ रहना, घूमना,फिरना,बातें करना बाकी सब चीजों से ज्यादा दिलकश लगे। अगर आप एक खुशहाल, अक्लमंद और दिलकश इंसान है तो वह किसी और कि तरफ नहीं खीचेगा। वह हर चीज़ के बारे में आपके ही पास आ कर पूछेगा।
अच्छा इंसान बने।
अगर आप अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहते हैं तो सबसे पहले खुद एक अच्छा या प्रेमपूर्वक इंसान बने क्योकि बच्चा जो अपने आस-पास की चीजों को देखता है वही सिखाता है।
आत्मनिर्भर बनाए
बचपन से ही उन्हें अपने छोटे छोटे फैसले खुद लेने दे। आपके इस तरीके से बच्चो मे निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा और वे भविष्य m चुनौतियों का सामना डट कर ,कर पाएंगे।
जिद्दी ना बनने दे
जो पैरेंट्स बच्चो की हर मांग को पर करते है उनके बच्चे जिद्दी हो जाते है। यदि बच्चे बेवजह जिद्दी करते है जिन्हे पूरा किया नही जा सकता है तो उन्हें प्यार से समझाएं की उनकी मांग जायज नहीं है।
कुछ लाइनें है परवरिश पर तो–
* ‘’लडखडा जाती हूं मैं कभी-कभी मगर हा! मुझे सम्भलना भी आता है ये परवरिश का ही कमाल जो मुश्किलों से अकेला लडना आता है!
* ”आपके संस्कार बताते हैं कि आपकी परवरिश कैसी है और आपकी परवरिश बताती है कि आपका परिवार कैसा है!”
* “लफ्जो” का इस्तेमाल हिफाजत से करिए , ये “परवरिश” का बेहतरीन सबूत होते है।
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